विधानसभा की 10 सीटों पर वर्चस्व की लड़ाई : भाजपा से अयोध्या छीना, अब मिल्कीपुर पर सपा की नजर... जानिए क्या है अखिलेश का पीडीए प्लान

UPT | विधानसभा की 10 सीटों पर वर्चस्व की लड़ाई

Jul 04, 2024 14:03

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सत्तारूढ़ दल और विपक्ष ने इसे लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। ये 10 सीटें सपा और भाजपा दोनों के लिए वर्चस्व का प्रश्न हैं।

Short Highlights
  • विधानसभा की 10 सीटों पर वर्चस्व की लड़ाई
  • 10 में से 10 सीटें जीतना चाहती है भाजपा
  • पीडीए के भरोसे फिर से अखिलेश
Lucknow News : उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। सत्तारूढ़ दल और विपक्ष ने इसे लेकर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव आयोग ने भले ही अब तक चुनाव का शेड्यूल जारी न किया हो, लेकिन ये 10 सीटें सपा और भाजपा दोनों के लिए वर्चस्व का प्रश्न हैं। सपा की कोशिश है कि वह पहले भाजपा के पत्ते देख ले, तो वहीं भाजपा अपने मंत्रियों की फौज उतारकर सियासी गुणा-भाग समझने की कोशिश कर रही है।

किन 10 सीटों पर होने हैं उपचुनाव?
उत्तर प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, खैर, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवा और मीरापुर शामिल हैं। इसमें से करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी की सीटें सपा के पास थीं, जबकि खैर, गाजियाबाद और फूलपुर सीट पर भाजपा, मझवा पर निषाद पार्टी और मीरापुर सीट पर रालोद ने जीती दर्ज की थी।

क्यों खाली हुई ये सीटें?
विधानसभा की ज्यादातर सीटें विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद से खाली हुई हैं। करहल की सीट से अखिलेश यादव विधायक थे, लेकिन अब वह कन्नौज से सांसद बन गए हैं। मिल्कीपुर की सीट से अवधेस प्रसाद विधायक थे, वह फैजाबाद से सांसद चुने गए हैं। कटेहरी सीट के विधायक लालजी वर्मा भी सांसद बन गए हैं, जबकि सीसामऊ की सीट विधायक इरफान सोलंकी को सजा होने से रिक्त हुई है।

अखिलेश का क्या है प्लान?
2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भाजपा से फैजाबाद की लोकसभा सीट छीन ली थी। पार्टी चाहती है कि इसी तरह का झटका भाजपा को एक बार और दिया जाए। अवेधश प्रसाद के सांसद बनने से अयोध्या की मिल्कीपुर सीट रिक्त हुई है। इस सीट पर अवधेश अपने बेटे को उतारना चाहते हैं, लेकिन सपा कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। इसीलिए पार्टी नेतृत्व किसी मजबूत दावेदार की तलाश में है। करहल पर यादव परिवार के किसी सदस्य को उतारा जाएगा, वहीं कुंदरकी से तुर्क मुस्लिम का नाम लगभग तय है। सीसामई से भी इरफान सोलंकी के किसी करीबी को मौका मिल सकता है। कहा जा रहा है कि समाजवादी इस इंतजार में है कि भाजपा पहले अपने पत्ते खोल दे, जिससे उसे अपने प्रत्याशियों का चयन करने में आसानी हो।

भाजपा ने उतारी मंत्रियों की फौज
भारतीय जनता पार्टी विधानसभा की 10 में से 10 सीटें जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। पार्टी ने अपने 16 मंत्रियों को इन सीटों की जिम्मेदारी सौंपी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिश है कि उपचुनाव में सभी दस सीटों पर कमल खिलाया जाए। इसके लिए उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और अन्य पदाधिकारियों से बातचीत भी की है। हालांकि प्रत्याशी को लेकर फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।

वर्चस्व का क्यों है प्रश्न?
दरअसल 18वीं लोकसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में महज 33 सीटें जीती थीं। जबकि सपा ने सबसे अधिक 37 और कांग्रेस ने 6 सीटें हासिल की थीं। भाजपा 10 में 10 सीटें जीतने के दांव-पेच खंगाल रही है और लोकसभा चुनाव के नतीजे विधानसभा उपचुनाव में पलटना चाहती है। वहीं सपा अपने पीडीए के भरोसे हैं। उसकी पूरी कोशिश है कि वह भाजपा को लोकसभा चुनाव जैसा ही एक और झटका दे। जाहिर तौर पर इसमें सपा को कांग्रेस का साथ मिलेगा। मीरापुर से मुस्लिम, गुर्जर और जाट प्रत्याशी पर विचार चल रहा है, तो फूलपुर से पटेल या कुशवाहा को मौका मिल सकता है। गाजियाबाद से दलित समीकरण तलाशे जा रहे हैं और रालोद के एक नेता भी सपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि इन सभी राजनीतिक गुणा-भागों का नतीजा क्या निकलता है।

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