छत्तीसगढ़-अलीगढ़ मॉब लिंचिंग घटना : जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी बोले-ये सामाजिक नहीं, राजनीतिक समस्याएं

UPT | मौलाना अरशद मदनी।

Jun 24, 2024 01:57

उन्होंने घटनाओं पर गुस्सा जाहिर किया। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि संप्रदायवादियों ने देश में नफरत का जो जहर भरा है वो अभी समाप्त नहीं हुआ है।

Short Highlights
  • दोनों घटनाओं के पीछे संप्रदायवादियों ताकतों को बताया 
  • मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर जाहिर किया गुस्सा 
  • धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दलों को खुलकर मैदान में आने की नसीहत 
Saharanpur News : छत्तीसगढ़ और अलीगढ़ में हुई मॉब लींचिंग की घटना पर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी अपना बयान जारी कर घटना की निंदा की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ और छत्तीसगढ़ में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर दुख जताया है। मौलाना मदनी ने कहा कि भीड़ की हिंसा सामाजिक नहीं, ये राजनीतिक समस्या है और इस समस्या का हल राजनीतिक रुप से किया जा सकता है। 

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने क्या कहा
उन्होंने घटनाओं पर गुस्सा जाहिर किया। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा कि संप्रदायवादियों ने देश में नफरत का जो जहर भरा है वो अभी समाप्त नहीं हुआ है। अलीगढ़ और छत्तीसगढ़ की घटनाएं इन बातों का प्रमाण हैं। जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में देश में लोगों ने सांप्रदायिकता और नफरत की राजनीति को खारिज कर दिया है। लेकिन इसके बाद भी वर्षों से जो जहर संप्रदायवादियों ने जहन में भरा है उसको खत्म होने में समय लगेगा। ये घटनाएं उसी जहर का परिणाम हैं। कुछ लोगों ने दरिंदगी और क्रूरता का प्रदर्शन करके मानवता के दामन को दागदार करने का काम किया है। 

जो ऐसा कर रहे हैं, उन्हें कानून का भय नहीं है
मौलाना मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कड़े निर्देश के बाद भी इस प्रकार की घटनाओं का सिलसिला नहीं रुक रहा है। जबकि 17 जुलाई 2018 को इस प्रकार की घटनाओं पर क्रोध व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई व्यक्ति कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता। देश की सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को ऐसी घटनाओं को लेकर अलग से कानून बनाने का निर्देश दिया था। अब भी इस प्रकार की अमानवीय घटनाओं के होने से साफ है कि जो ऐसा कर रहे हैं, उन्हें कानून का भय नहीं है। 

स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल इसके खिलाफ खुलकर मैदान में आ जाएं
उन्होंने कहा कि समय आ गया कि स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल इसके खिलाफ खुलकर मैदान में आ जाएं और भीड़ द्वारा हिंसा के खिलाफ कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाए। मौलाना मदनी ने मांग करते हुए कहा कि इन घटनाओं के दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। जिससे कि दूसरे लोग इससे सबक सीख सकें। 

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