हाथरस कांड में चौंकाने वाले खुलासे : आयोजकों की करतूत का पर्दाफाश, पढ़ लीजिए पूरी एफआईआर....

UPT | हाथरस कांड

Jul 03, 2024 15:29

हाथरस त्रासदी के बाद दर्ज की गई एफआईआर में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आयोजकों पर साक्ष्य छिपाने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। 

Hathras News : हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र में मंगलवार को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 25 से ज्यादा घायल हुए। यह हादसा उस समय हुआ जब फुलरई मुगलगढ़ी में साकार विश्व हरि उर्फ भोलेबाबा सत्संग समाप्त करने के बाद बाहर निकल रहे थे। हाथरस त्रासदी के बाद दर्ज की गई एफआईआर में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आयोजकों पर साक्ष्य छिपाने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। 

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वास्तविक भीड़ की संख्या छिपाई
एफआईआर में बताया गया है कि आयोजकों ने अनुमति के लिए आवेदन करते समय वास्तविक भीड़ की संख्या छिपाई। उन्होंने 80,000 लोगों के लिए अनुमति मांगी थी, जबकि वास्तव में कार्यक्रम में लगभग 2.5 लाख लोग शामिल हुए। इसके कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई और जीटी रोड पर जाम लग गया। 



आयोजकों ने राहत और बचाव में मदद नहीं की
एफआईआर के अनुसार, पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। हालांकि, एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आयोजकों और सेवादारों ने इस प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया। 

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भगदड़ के बाद साक्ष्य छिपाने की कोशिश
आयोजकों पर श्रद्धालुओं की चप्पलें और अन्य सामान पास के खेतों में फेंककर साक्ष्य छिपाने का भी आरोप है। सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 124 लोगों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। 

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एफआईआर में इनके नाम
मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरह से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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