यूपी में भगदड़ से पहले भी हुई हैं मौतें: सिफारिशों पर नहीं किया जाता अमल, जानें अब तक हुए बड़े हादसे

UPT | hathras incident

Jul 02, 2024 20:32

यूपी में बड़े आयोजन में भीड़ प्रबंधन के इंतजाम नहीं होने को लेकर बड़े हादसों पर नजर डालें तो राजधानी लखनऊ में 2004 में भाजपा नेता लालजी टंडन के अपने जन्मदिन पर साड़ियों के वितरण के दौरान मची भगदड़ में लोगों की मौत हो गई थी।

Short Highlights
  • भीड़ प्रबंधन को लेकर बड़े आयोजनों में बरती जाती है लापरवाही
  • जांच कमेटी की सिफारिशें फाइलों में खाती हैं धूल
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में हाथरस जनपद के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में भगदड़ से बड़ी संख्या में लोगों की मौतों ने एक बार ऐसे आयोजनों में भीड़ प्रबंधन के इंतजाम नहीं होने को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसों के बीच कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए जाते हैं। लेकिन, कमेटी जिन बिंदुओं पर खामी दर्शाते हुए निष्कर्ष तक पहुंचती है, उन्हें लेकर धरातल पर अमल नहीं किया जाता। ऐसे में आम आदमी की जान पर खतरा मंडराता रहता है।

लखनऊ में लालजी टंडन के जन्मदिन पर साड़ी वितरण में 22 महिलाओं की हुई थी मौत
यूपी में बड़े आयोजन में भीड़ प्रबंधन के इंतजाम नहीं होने को लेकर बड़े हादसों पर नजर डालें तो राजधानी लखनऊ में 2004 में भाजपा नेता लालजी टंडन के अपने जन्मदिन पर साड़ियों के वितरण के दौरान मची भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई थी। ये घटना में भीड़ के दौरान अफरातफरी मचने के कारण हुई थी। लालजी टंडन के 70वें जन्मदिन पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। छोटे से पंडाल में साड़ी, विधवा पेंशन और नकद राशि का भी वादा किया गया था। टेंट चारों तरफ से बंद था और बाहर निकलने का एक ही रास्ता था। ऐसे में भगदड़ मचने के कारण महिलाओं की जान चली गई। इस घटना के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ पहुंचकर घटना को बेहद दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक बताया था। लालजी टंडन तब अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव प्रबंधन का जिम्म देखते थे। इस घटना को लेकर कई सवाल उठे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी तब लालजी टंडन के आवास पहुंचे थे।

वाराणसी में जयगुरुदेव के कार्यक्रम में भगदड़ से 25 लोगों की हुई थी मौत
वाराणसी में अक्टूबर 2016 में राजघाट पुल के पास बाबा जयगुरुदेव के कार्यक्रम में अचानक भगदड मचने से 25 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं सैकड़ों लोग घायल हुए थे। सत्संग के लिए जुटी लाखों की भीड़ को संभालने में हुई प्रशासनिक चूक के चलते ये हादसा हुआ था। गंगा पर बने सैकड़ों साल पुराने राजघाट पुल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अव्यवस्था का शिकार हुई जिससे भगदड़ मच गई और लोगों की मौत हो गई। कार्यक्रम के आयोजकों ने जिला प्रशासन से अनुमति लेते वक्त लिखित तौर पर महज तीन से चार हजार लोगों के जुटने की बात कही थी। लेकिन, ये संख्या लाखों पार कर गई। पुलिस प्रशासन की ओर से भीड़ और यातायात नियंत्रण के कोई उपाय नहीं किए गए। पुल के ठसाठस भर जाने पर भी हादसे के वक्त तक चार पहिया वाहनों को आवागमन नहीं रोका गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मामले की जांच कराने का फैसला किया। बाद में जांचकर्ता सेवानिवृत्त न्यायाधीश राजमणि चौहान ने हादसे के लिए जय गुरुदेव सत्संग और शोभायात्रा के आयोजकों और ट्रैफिक का जिम्मा संभाल रहे अधिकारियों को कसूरवार ठहराया। इस प्रकरण में तत्कालीन जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के तबादले से लेकर अन्य अफसरों के निलंबन की कार्रवाई की गई। लेकिन, आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जो सुझाव दिए, आज भी उनका पालन नहीं होने हाथरस जैसी घटनाओं का सबब बन रहा है। आयोग ने किसी बड़े कार्यक्रम की अनुमति देने से पहले व्यवस्था की जांच करने की सलाह दी थी। इसके अलावा अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कार्यक्रम के बारे में स्थानीय पुलिस को न सिर्फ बताया जाए बल्कि उनकी जिम्मेदारियां भी तय की जाए। साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त रखा जाए और आवश्यकता पड़ने पर रूट डायवर्जन किया जाए। 

2013 के कुंभ मेला में रेलवे जंक्शन पर भगदड़ में 35 लोगों की हुई थी मौत
प्रयागराज में संगम तट पर वर्ष 2013 के कुंभ मेला के दौरान 10 फरवरी के दिन रेलवे जंक्शन पर भगदड़ में 35 लोगों की मौत हुई थी। मौनी अमावस्या के स्नान के बाद श्रद्धालु अपने घर जाने के लिए रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर पहुंच रहे थे। प्रयागराज जंक्शन पर तभी प्लेटफार्म छह की ओर जाने वाली फुट ओवरब्रिज की सीढ़ियों पर अचानक भगदड़ मची। धक्का-मुक्की में कई लोग ओवरब्रिज से नीचे जा गिरे जबकि कई लोगों को भीड़ ने कुचल दिया। कुचलने और गिरने से 35 लोगों की मौत हो गई थी। रेलवे की ओर से तब कहा गया कि ओवरब्रिज पर शाम को अचानक भीड़ का दबाव बढ़ने के कारण हादसा हुआ। दुर्घटना में मरने वालों में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश आदि के यात्री थे। प्रयागराज में ही 1954 के कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी बांध पर मची भगदड़ में सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़ मचने से 63 लोगों की मौत
प्रतापगढ़ जनपद में मार्च 2010 में मनगढ़ आश्रम में भगदड़ के दौरान 63 लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़ मचने के दौरान हुई थी। मरने वालों में 37 बच्चे और 26 महिलाएं थीं। पुलिस ने आश्रम का गेट गिरने से मची भगदड़ को लोगों की मौत की वजह बताया था। कृपालु महाराज की पत्नी की बरसी के मौके पर लोगों को सामान वितरित किया जा रहा था। इसी दौरान ये हादसा हुआ।

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