मानसून आते ही डेंगू का खतरा बढ़ा : आठ जिले संवेदनशील, ऐसे करें बचाव

UPT | डेंगू का खतरा बढ़ा।

Jul 04, 2024 20:28

प्रदेश में सभी जगह डेंगू के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन, आठ जनपदों में इसका व्यापक असर देखने को मिलता है। इन जनपदों को डेंगू के लिहाज से संवेदनशील घोषित किया गया है। इनमें लखनऊ, झांसी, बरेली, अयोध्या, बाराबंकी, प्रयागराज, गोंडा और कानपुर नगर शामिल हैं।

Short Highlights
  • डेंगू की रोकथाम के लिए जागरूकता पर फोकस
  • हर साल अस्पतालों में डेंगू मरीजों से बेड रहते हैं फुल 
Lucknow News : प्रदेश में जुलाई माह को डेंगू रोधी माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान डेंगू, चिकनगुनिया रोगों पर प्रभावी रोकथाम से लेकर लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया जा रहा है। दरअसल प्रदेश में डेंगू के बढ़ते मामले हर साल चिंता का सबब बनते हैं। अस्पतालों में बेड फुल होने से लेकर जानकारी के अभाव में मरीज काफी परेशान होते हैं। इसलिए स्वास्थ्य महकमा इसके बचाव के इंतजाम से लेकर जागरूकता पर ज्यादा फोकस कर रहा है। 

लखनऊ सहित ये जिले डेंगू को लेकर संवेदनशील
प्रदेश में सभी जगह डेंगू के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन, आठ जनपदों में इसका व्यापक असर देखने को मिलता है। इन जनपदों को डेंगू के लिहाज से संवेदनशील घोषित किया गया है। इनमें लखनऊ, झांसी, बरेली, अयोध्या, बाराबंकी, प्रयागराज, गोंडा और कानपुर नगर शामिल हैं। इस साल जनवरी से अब तक कुल 352 डेंगू के केस सामने आ चुके हैं। बीते पांच वर्षों के सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें उतार चढ़ाव देखने को मिला है। प्रदेश में साल 2019 में डेंगू के 10640 केस सामने आए। वहीं वर्ष 2020 में 3715, 2021 में 29750, 2022 में 19821 और 2023 में 35402 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। 

मानसून और उसके बाद डेंगू का बढ़ता है खतरा
संयुक्त निदेशक मलेरिया एवं वीबीडी डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि डेंगू की जनजागरूकता पर इसलिए जोर है क्योंकि डेंगू की कोई वैक्सीन नहीं है। डेंगू एडीज मच्छर से होने वाला रोग है। मानसून और उसके बाद की अवधि में डेंगू बुखार का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण के लिए निवारक गतिविधियों में तेजी लाने पर जोर है जिससे कि किसी भी तरह के आउटब्रेक से बचा जा सके। डेंगू और चिकनगुनिया की जांच के लिए प्रदेश में पर्याप्त मात्र में एनएस1 और आईजीएम एलाइजा किट उपलब्ध हैं।

शरीर में नहीं होने दें पानी की कमी
डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि डेंगू के हर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। ये जांच करने वाले चिकित्सक की सलाह पर निर्भर है। यदि मरीज को उल्टी आ रही है, पेट में तेज दर्द है, सांस लेने में कठिनाई है। रक्तचाप गिर रहा है या घबराहट हो रही है, बहुत कमजोरी महसूस हो रही हो या शरीर मे कहीं भी रक्तस्राव हो रहा हो, तो ऐसी हालत में तुरंत मरीज को भर्ती कराते हुए पूरा इलाज करना चाहिए। डेंगू में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी नहीं होने पाए क्योंकि पानी की कमी से मरीज शॉक में चला जाता है। इसलिए डेंगू होने पर ओआरएस का घोल, तरल पेय पदार्थ का सेवन करें। डेंगू के उपचार में फ्लूड मैंजमनेट बेहद महत्वपूर्ण है। डेंगू की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि अधिकांश मामलों में इस बीमारी को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। केवल कम प्लेटलेट काउंट ही प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन का संकेत नहीं है। बेहद गंभीर मामलों में योग्य चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी होता है। 

डेंगू पर ऐसे करें वार
  • घर की खिड़की और दरवाजों पर जाली लगवाएं।
  • सोते समय मच्छरदानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें।
  • पूरी बांह के कपड़े पहने।
  • घरों और ऑफिस में हर रविवार मच्छरों पर वार के तहत कूलर और जलजमाव वाले स्थानों की सफाई करें।
  • यदि कहीं पानी इकट्ठा है तो उसमें जला हुआ मोबिल ऑयल डाल दें।
  • घर में पुराने कबाड़, गमलों की ट्रे, फ्रिज की ट्रे, पुराने टायर, शो प्लांट अदि  में पानी न इकट्ठा होने दें।
  • बुखार होने पर बगैर समय बर्बाद किए तुरंत इलाज के लिए निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं। 

यूपी में डेंगू के आंकड़े
साल 2019- 10640 केस
साल 2020- 3715 केस
साल 2021- 29,750 केस
साल 2022- 19821 केस
साल 2023 - 35402 केस

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