नगर निकायों का फैसला : मृतक कर्मियों की विधवा पुत्रवधु को मिलेगा आश्रित का दर्जा, नियम में किया गया संशोधन

UPT | नगर निगम, लखनऊ

Jun 28, 2024 13:51

नगर निकायों (जैसे नगर पालिका या नगर निगम) में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक नया नियम बनाया गया है। अब अगर नगर निकायों के किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है...

Lucknow News : नगर निकायों (जैसे नगर पालिका या नगर निगम) में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक नया नियम बनाया गया है। अब अगर कोई नगर निकायों के किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी विधवा बहू को सरकार की तरफ से बराबर हक दिया जाएगा। पहले यह मदद सिर्फ कर्मचारी के परिवार के कुछ सदस्यों को ही मिलती थी, लेकिन अब ये मदद बहू को भी मिलेगी। 

नियम में किया बदलाव 
नगर विकास विभाग ने उप्र सेवाकालीन नगर पालिका (विकेन्द्रीकृत) सेवानिवृत्ति लाभ नियमावली-1984 में परिवार की परिभाषा में परिवर्तन करते हुए ये फैसला लिया है। नगर विकास विभाग ने एक पुराने नियम में बदलाव करके यह फैसला लिया है कि अब इसमें बहू को भी शामिल किया जाना चाहिए। यह नियम राज्य सरकार के कर्मचारियों के हित में किया गया है। इस बदलाव के बाद, मृत कर्मचारी की बहू को भी 'आश्रित' यानी निर्भर व्यक्ति माना जाएगा। नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने इस बारे में एक आदेश जारी किया है और सभी नगर निकायों को इसका पालन करने के लिए कहा है।

अब बेटे या बेटी जितना हक बहु का 
राज्य सरकार ने एक नया नियम बनाया है। यह नियम उन सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए है, जिनकी काम के दौरान मृत्यु हो जाती है। इस नए नियम के अनुसार, मृत कर्मचारी की बहू (बेटे की पत्नी) को भी उतना ही अधिकार मिलेगा, जितना उसके बेटे या बेटी को मिलता है। यानी, बहू को भी नौकरी पाने का मौका मिल सकता है। लेकिन यह नियम सीधे तौर पर नगर निकायों (जैसे नगर पालिका या नगर निगम) पर लागू नहीं होता। ऐसा इसलिए है क्योंकि नगर निकाय 'स्वायत्तशासी संस्था' होते हैं। यानी, वे कुछ मामलों में अपने फैसले खुद ले सकते हैं। इसलिए, राज्य सरकार के इस नए नियम का फायदा नगर निकायों के कर्मचारियों को तब तक नहीं मिलेगा, जब तक नगर निकाय इसे मानने का फैसला नहीं लेते।

सरकार ने एक आदेश जारी किया
इस आदेश में कहा गया है कि नगर निकायों (जैसे नगर पालिका या नगर निगम) ने कार्मिक विभाग के नए नियम को मान लिया है। यह नया नियम नगर निकायों में काम करने वाले कर्मचारियों पर लागू होगा। अब, अगर नगर निकाय का कोई कर्मचारी नौकरी करते समय मर जाता है, तो उसकी बहू (बेटे की पत्नी) को भी मदद मिलेगी। इस मदद के लिए, बहू को भी 'आश्रित' यानी निर्भर व्यक्ति माना जाएगा। इसका मतलब है कि बहू को भी वे सभी लाभ मिलेंगे, जो पहले सिर्फ मृत कर्मचारी के दूसरे आश्रितों को मिलते थे।

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