'कैदियों का इलाज राज्य का कर्तव्य' : हाईकोर्ट ने अधिकारियों से मांगा जवाब- सर्जरी के लिए मना किया, इसके लिए कौन जिम्मेदार?

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 16, 2024 20:20

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हिरासत में लिए गए किसी भी आरोपी को राज्य सरकार चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने से इनकार नहीं कर सकती...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हिरासत में लिए गए किसी भी आरोपी को राज्य सरकार चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने से इनकार नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति समित गोपाल ने देवरिया निवासी कयूमद्दीन की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी विचाराधीन बंदी को बीमारी के दौरान उचित देखभाल और चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी है।

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जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को दिए निर्देश
कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब उसे जानकारी मिली कि जेल अधीक्षक ने लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर प्रभावी आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का हवाला देते हुए चिकित्सा सुविधा प्रदान करने से इनकार कर दिया। अपने आदेश में न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत रूप से मामले की देखरेख करें और अगली सुनवाई पर अदालत को अपने हलफनामे के माध्यम से सूचित करें कि याची के लिए क्या पर्याप्त व्यवस्थाएं की जाएंगी।



अधिकारियों से मांगा जवाब
कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि किन परिस्थितियों में याची को सर्जरी के लिए मना किया गया और इसके लिए कौन जिम्मेदार था। न्यायालय ने कहा कि यदि सर्जरी की आवश्यकता की सिफारिश की गई थी, तो इसके लिए अधिकारियों की मर्जी पर इंतजार नहीं किया जा सकता था।

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यह था मामला
जेल में बंद याची के 16 अप्रैल, 2024 को किए गए आवेदन पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, देवरिया ने उचित चिकित्सा उपचार के लिए निर्देश दिए थे। लेकिन जेल अधीक्षक ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का हवाला देते हुए उसके इलाज से इंकार कर दिया। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि आदर्श आचार संहिता हटने के बाद याची को समुचित उपचार प्रदान किया जाएगा।

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