आजीवन कारावास की सजा वाला युवक बरी : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, 100 साल की महिला से रेप का लगा था आरोप

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Aug 21, 2024 14:42

हाईकोर्ट के निर्देश के तहत, अपील की सुनवाई के दौरान पुनिया के वकील ने तर्क किया कि महिला के पोते ने ऋण चुकाने से बचने और सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया ...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा वाले युवक को बरी कर दिया है। कोर्ट ने 32 वर्षीय युवक को राहत दी है, जो 2017 में मेरठ में अपने घर पर एक 100 साल की महिला के साथ बलात्कार और हत्या के प्रयास के आरोप में दोषी ठहराया गया था। सत्र न्यायालय ने 2020 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। महिला के पोते ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने बताया कि 29 अक्टूबर 2017 की रात उसकी चीखें सुनकर वह और उसके परिवार के सदस्य महिला के कमरे में पहुंचे और अंकित पुनिया को वहां से भागते हुए देखा।

अपील की सुनवाई के दौरान सुनाया फैसला
हाईकोर्ट के निर्देश के तहत, अपील की सुनवाई के दौरान पुनिया के वकील ने तर्क किया कि महिला के पोते ने ऋण चुकाने से बचने और सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया था। वकील ने यह भी बताया कि इस मामले में कोई स्वतंत्र गवाह या प्रत्यक्षदर्शी नहीं था।



कोर्ट ने दोषी को किया बरी
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि घटना के समय वह अपनी पत्नी के साथ गाजियाबाद में रह रहा था, जिससे स्पष्ट है कि वह प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। इसके परिणामस्वरूप, शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी, जिन्होंने गवाह के रूप में पेश होने का दावा किया था, के बयानों को अविश्वसनीय मानते हुए कोर्ट ने दोषी को बरी कर दिया।

1989 के तहत किया मामला दर्ज
शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उस समय पिछले एक साल से बिस्तर पर पड़ी महिला की तबीयत खराब थी और उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां अगले दिन उसकी मौत हो गई। पुनिया के खिलाफ हत्या, बलात्कार का प्रयास और घर में जबरन घुसने सहित कई आरोपों में मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता दलित समुदाय से संबंधित थी, पुलिस ने उस पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मामला दर्ज किया। पुनिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, और 20 नवंबर 2020 को मेरठ की अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके बाद पुनिया ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी।

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