महाकुंभ 2025 की तैयारी : योगी सरकार का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, गंगा-यमुना के सात घाटों को मिलेगा नया रूप

UPT | महाकुंभ 2025

Sep 01, 2024 16:42

काशी के घाटों की तर्ज पर प्रयागराज के गंगा और यमुना नदी के सात प्रमुख घाटों को नया स्वरूप देने का काम चल रहा है। इस परियोजना पर 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है...

Short Highlights
  • प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर
  • 11 करोड़ के निवेश से होगा निर्माण
  • महाकुंभ से पहले काम पूरा करने का लक्ष्य
Prayagraj News :  प्रयागराज में आगामी महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। इसे लेकर योगी सरकार ने शहर के प्रमुख घाटों के कायाकल्प का बीड़ा उठाया है। काशी के घाटों की तर्ज पर प्रयागराज के गंगा और यमुना नदी के सात प्रमुख घाटों को नया स्वरूप देने का काम चल रहा है। इस परियोजना पर 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है, जिसका लगभग आधा कार्य पूरा हो चुका है। जानकारी के अनुसार, इन घाटों के सौंदर्यीकरण का काम महाकुंभ से पहले-पहले पूरा कर लिया जाएगा।

11 करोड़ के खर्च से होगा काम
ये घाट आध्यात्मिक यात्रियों और पर्यटकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जहां वे पवित्र जल में स्नान करते हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत, उत्तर प्रदेश सरकार ने जल निगम के जरिए सात प्रमुख घाटों के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया है। परियोजना के प्रबंधक रोहित कुमार राणा के अनुसार, इस कार्य पर 11.01 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। उन्होंने बताया कि अब तक लगभग आधा काम पूरा हो चुका है। साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि बाढ़ के पानी के उतरने के बाद निर्माण कार्य और अधिक तेजी से आगे बढ़ेगा।



इन घाटों का हो रहा है नवीनीकरण
बता दें कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत बलुआ घाट, कालीघाट, रसूलाबाद घाट, छतनाग घाट झूंसी, नागेश्वर घाट झूंसी, मौजगिरी घाट और पुराना अरैल घाट का नवीनीकरण किया जा रहा है। इन घाटों में मौजगिरी घाट का 40 फ़ीसदी, नागेश्वर घाट का 35 फ़ीसदी, छतनाग घाट का 30 फ़ीसदी, रसूलाबाद घाट का 35 फीसदी, बलुआ घाट का 35 फीसदी, पुराना अरैल घाट का 40 फ़ीसदी और कालीघाट का 50 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। अधिकारियों का मानना है कि नवंबर तक सभी घाटों का सौंदर्यीकरण और सुविधा विस्तार का कार्य संपन्न हो जाएगा।

श्रद्धालुओं और पर्यटकों कि सुविधाओं पर जोर
घाटों के कायाकल्प में विशेष ध्यान श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधाओं पर दिया जा रहा है। इसके तहत घाटों पर छतरियां, हाईमास्ट, पेयजल की व्यवस्था, आरओ सिस्टम, मोबाइल शौचालय और परिधान बदलने के लिए चेंजिंग रूम जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। साथ ही, बैठने के लिए बेंच की भी व्यवस्था की जा रही है।

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