सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पास से एक इनामी बदमाश को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह आरोपी नाम और वेश बदलकर पिछले 17 वर्षों से फरार चल रहा था।
Oct 08, 2024 01:09
सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पास से एक इनामी बदमाश को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह आरोपी नाम और वेश बदलकर पिछले 17 वर्षों से फरार चल रहा था।
Ayodhya News : सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पास से इनामी बदमाश को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। यह बदमाश, जो नाम और वेश बदलकर रह रहा था, पिछले 17 वर्षों से फरार था। सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि थाना पुलिस ने मुखबिर की सटीक जानकारी पर इस छद्म साधु को धर दबोचा। गिरफ्तार किए गए इस अपराधी का नाम सीताराम दास उर्फ विजय है, जिसे गोंडा पुलिस द्वारा घोषित किया गया था। उसके अलावा एक अन्य आरोपी को भी पुलिस पकड़ा है। दोनों पर हत्याकांड में शामिल होने का आरोप है।
जानकारी के अनुसार, सीताराम दास का नाम 2007 में गोंडा जनपद में हुई महावीर सिंह की हत्या के मामले में सामने आया था। इस हत्या के बाद से वह फरार हो गया था और गोंडा पुलिस द्वारा उसकी संपत्ति की कुर्की भी की जा चुकी थी। गोंडा पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 15-15 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था।
पुलिस की जांच में यह भी पता चला है कि सीताराम दास उर्फ विजय दास अयोध्या धाम में कई वर्षों से रह रहा था, और यहां पर उसके साथ अन्य कई अपराधियों की भी पहचान हुई है। गिरफ्तार किए गए बदमाश के साथ संजय उर्फ विजय उर्फ गोविंद सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है, जो कि इस अपराध में सहायक था।
नाम बदलकर रह रहा था बदमाश
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सीताराम दास ने नाम और पहचान बदलकर अयोध्या में रहने के दौरान कई गणमान्य व्यक्तियों और तथाकथित रोग विशेषज्ञों से अच्छी जान पहचान बना ली थी। इसके संबंधों की भी जांच की जाएगी, जिससे यह स्पष्ट होगा कि वह किन-किन लोगों के संपर्क में था और किन-किन गतिविधियों में शामिल था।
महावीर सिंह की हत्या का मामला
महावीर सिंह, जो तुलसीपुर माझा के निवासी थे, की 6 जून 2007 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में संजय उर्फ विजय उर्फ गोविंद सिंह और सीताराम दास का नाम सामने आया था। दोनों ने इस हत्या को अंजाम देने के बाद अपने नाम और भेष बदल लिए थे। गोंडा पुलिस ने इनकी तलाश में काफी प्रयास किए, लेकिन दोनों लगातार नाम बदलकर पुलिस को चकमा देते रहे।
पुलिस ने बताया कि प्रभारी निरीक्षक थाना राम जन्मभूमि ने अपनी टीम के साथ सीताराम दास को हनुमानकुटी चौगुर्जी मंदिर के पीछे रामकोट से गिरफ्तार किया। उनके निवास स्थान से इस अभियोग से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए गए। इसके साथ ही, 2011 में सीताराम ने उच्च न्यायालय में अपने खिलाफ प्रस्तुत आरोप पत्र को निरस्त करने की याचिका भी दाखिल की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
न्यायिक प्रक्रिया और भविष्य की कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने सीताराम दास और संजय को सक्षम कोर्ट में पेश किया। पुलिस अब यह देख रही है कि ये दोनों अब तक किन-किन लोगों के संपर्क में रहे और उनकी गतिविधियों का दायरा क्या था। पुलिस का कहना है कि जांच में जुटने के बाद और भी कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं।
इस गिरफ्तारी ने न केवल अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि पुलिस विभाग अपनी जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर है। यह कार्रवाई इस बात का प्रमाण है कि अयोध्या में अपराधियों के खिलाफ पुलिस का चेष्टा जारी है और कोई भी अपराधी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता।