यूपी के सियासी समीकरण : कांग्रेस को चाहिए बसपा का साथ लेकिन अखिलेश से एतराज, क्या है उत्तर प्रदेश में 'इंडिया' गठबंधन का भविष्य?

UP Times | क्या है उत्तर प्रदेश में 'इंडिया' गठबंधन का भविष्य?

Jan 04, 2024 14:35

2024 के लोकसभा चुनावों में बस कुछ ही वक्त बचा है। एक ओर बीजेपी ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है तो दूसरी ओर विपक्षी गुट भी कमर कसने को तैयार है। हालांकि विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन में अभी भी कई पेच हैं, जिनका हल समय से निकालना जरूरी है।

Short Highlights
  • बसपा के इंडिया गठबंधन में शामिल होने पर आया जेडीयू का बयान
  • केसी त्यागी बोले- 'सपा को विश्वास में ले कांग्रेस'
  • अजय राय ने मायावती को गठबंधन में शामिल होने के लिए किया था आग्रह
New Delhi Desk: उत्तर प्रदेश की सियासत का ऊंट कब किस करवट बैठ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। जून तक जो यूपी कांग्रेस के नेता अजय राय बीएसपी पर बीजेपी के साथ होने का आरोप लगा रहे थे, वही दिसंबर आते-आते मायावती से विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन में शामिल होने की अपील करने लगे। इधर मायावती के विपक्षी खेमे में शामिल होने की अटकलें लगने लगीं तो उधर जेडीयू के बयान ने इन अटकलों पर थोड़े समय के लिए ब्रेक लगा दिया है।

जानिए क्या बोले केसी त्यागी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि 'बीएसपी के साथ किसी भी तरह का समझौता करने से पहले कांग्रेस को समाजवादी पार्टी को विश्वास में लेना चाहिए।' त्यागी ने कहा कि 'यह बड़ा अजीब है कि कांग्रेस बीएसपी के साथ बात करने में तो दिलचस्पी रखती है लेकिन वह सपा को विश्वास में नहीं लेना चाहती, जो उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा विपक्षी दल है।'

बीएसपी-सपा के साथ आने की कितनी संभावना?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि समाजवादी पार्टी ऐसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनने को कतई तैयार नहीं होगी जिसका हिस्सा बीएसपी हो। इसकी वजह है दोनों पार्टियों का 2019 का अनुभव। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को टक्कर देने के लिए सपा-बसपा ने गठबंधन किया था। लेकिन उम्मीदों के उलट इस गठबंधन को 80 लोकसभा सीटों में से मात्र 15 पर जीत मिली थी। इसमें बपसा की 10 और सपा की 5 सीटें थी। नतीजे घोषित होने के बाद दोनों ही पार्टियों के बीच जुबानी तीर चलने लगे थे।

सपा-कांग्रेस की क्यों नहीं बन रही जुगलबंदी?
2015 में बिहार में बने महागठबंधन की तर्ज पर 2017 में कांग्रेस और सपा ने भी अलायंस किया था। 27 साल यूपी बेहाल का नारा देने वाली कांग्रेस ने सपा से गठबंधन के साथ ही नारा बदलकर 'यूपी को ये साथ पसंद है' रख लिया था। लेकिन नतीजों ने दोनों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। 2012 में 224 सीटें जीतने वाली सपा 2017 में सिमट कर 47 सीटों पर आ गई, वहीं कांग्रेस को 7 सीटों से संतोष करना पड़ा। यही वजह है कि पुराने अनुभव का बोझ दोनों पार्टियों पर इस कदर है कि इस बार भी उनकी जुगलबंदी बन नहीं पा रही है।

बसपा के लिए क्यों जग रहा कांग्रेस का प्रेम?
इंडिया गठबंधन में बसपा को शामिल करने के लिए कांग्रेस का प्रेस कुछ और नहीं, बस समीकरणों का खेल है। अगस्त 2017  में जब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की कमान दलित नेता ब्रिजलाल खबरी से छीनकर भूमिहार ब्राह्मण जाति से आने वाले अजय राय को दी थी, तभी से इस बात के संकेत लगने लगे थे कि कांग्रेस बसपा से गठबंधन करने के मूड में है। उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी दलित वोटर है, ऐसे में अगर कांग्रेस बसपा को साथ लाने में कामयाब  हो जाती है तो इसका सीधा फायदा उसे ही होगा। 

2024 के लिए कितना तैयार विपक्षी गुट 'इंडिया'?
2024 के लोकसभा चुनाव में बस कुछ ही महीने बचे हैं, लेकिन स्थिति यह है कि विपक्षी गुट आपसी मतभेद ही नहीं भुला पा रहा है। विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रीय मंच पर एक साथ दिखते जरूर हैं लेकिन वह अपने-अपने राज्यों में दूसरे दल की संभावना पैदा नहीं होने देना चाहते। ऐसे में अगर समय रहते इन समस्याओं का हल नहीं निकाला गया, तो संभव है कि 2024 को लोकसभा चुनाव सभी दल अलग-अलग लड़ें।

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