मंदिरों की स्वायत्तता पर जोर : सरकारी नियंत्रण से मुक्ति चाहती है संत समिति, PM मोदी को लिखा पत्र...

UPT | पीएम मोदी और स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती

Jul 01, 2024 17:08

भारत में धार्मिक स्थलों के प्रबंधन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। अखिल भारतीय संत समिति ने देशभर के हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की है। इस संदर्भ में समिति ने...

Varanasi News : भारत में धार्मिक स्थलों के प्रबंधन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। अखिल भारतीय संत समिति ने देशभर के हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की है। इस संदर्भ में समिति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।

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पत्र में उठाए बुनियादी सवाल
संत समिति ने पत्र में बुनियादी प्रश्न उठाए हैं। पत्र में कहा गया है कि यदि संविधान के अनुसार, धर्म की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है, तो फिर सरकार मंदिरों पर नियंत्रण कैसे रख सकती है? यह सवाल धर्म और राज्य के बीच के संबंधों पर एक गंभीर बहस को जन्म दे सकता है। समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने पत्र में साल 2024 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए एक निर्णय का हवाला दिया है। इस निर्णय में कहा गया था कि मंदिरों का प्रबंधन सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि यह समर्पित हिंदू समाज का दायित्व है। स्वामी ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारों का प्रबंधन भी किसी धर्मनिरपेक्ष सरकार का कार्य नहीं होना चाहिए। उनका मानना है कि यह उस समुदाय का काम है, जो अपने धार्मिक स्थलों के प्रति श्रद्धा रखता है और उनके लिए दान देता है।



एक व्यापक तंत्र बनाया जाए
संत समिति ने हिंदू मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक व्यापक तंत्र बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि सनातन हिंदू समाज के 128 संप्रदायों से बात करके एक मजबूत प्रबंधन व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए। इस प्रकार का तंत्र न केवल मंदिरों के बेहतर प्रबंधन में मदद करेगा, बल्कि हिंदू समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता भी बढ़ाएगा। भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को सुरक्षित रखते हुए राज्य सरकारों द्वारा नियंत्रित हिंदू मंदिरों के लिए एक व्यापक प्रबंधन तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। इस प्रक्रिया में सनातन धर्म के वरिष्ठ संतों, धार्मिक संगठनों और श्री काशी विद्वत परिषद के आचार्यों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। समिति का मानना है कि मंदिरों के प्रबंधन में हिंदू समाज की भागीदारी से धार्मिक स्थलों से प्राप्त धन का उपयोग समाज के विकास के लिए किया जा सकेगा। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति संरक्षण और राष्ट्रीय एकता जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार होगा।

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