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डीडीयू में भोजपुरी अध्ययन केंद्र का होगा शुभारंभ : क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा, शोध और प्रकाशन पर होगा विशेष ध्यान

UPT | DDU University

Jul 22, 2024 11:45

विभाग ने भोजपुरी अध्ययन केंद्र स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जो न केवल भोजपुरी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देगा, बल्कि इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति...

Short Highlights
  • डीडीयू भोजपुरी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देगा
  • विभाग ने भोजपुरी अध्ययन केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है
  • यह केंद्र भोजपुरी लोक साहित्य पर गहन शोध का मंच बनेगा
Gorakhpur News : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। विभाग ने भोजपुरी अध्ययन केंद्र स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जो न केवल भोजपुरी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देगा, बल्कि इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति को भी संरक्षित करने में मदद करेगा।

भोजपुरी पत्र-पत्रिकाओं का होगा प्रकाशन
यह केंद्र भोजपुरी लोक साहित्य पर गहन शोध का मंच बनेगा। यहां भोजपुरी की शोध पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होगा, जो विद्यार्थियों और शोधार्थियों को अपने काम को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा, भोजपुरी शब्दकोश, लोकगीत, परंपराएं और संस्कार गीतों पर भी विस्तृत अध्ययन और शोध किया जाएगा।

क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा पर जोर देती है ये पहल
हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने बताया कि यह पहल नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप है, जो क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा पर जोर देती है। केंद्र के अंतर्गत भोजपुरी और जनपदीय अध्ययन पर डिप्लोमा पाठ्यक्रम भी शुरू किया जाएगा, जो छात्रों को इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने का मौका देगा। इस केंद्र का एक प्रमुख उद्देश्य भोजपुरी भाषा में रचनात्मक लेखन को प्रोत्साहित करना है। यह युवा लेखकों को अपनी प्रतिभा दिखाने और पहचान बनाने का मंच प्रदान करेगा। साथ ही, यह केंद्र प्रवासी भारतीयों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, जो अपनी मातृभाषा और संस्कृति से जुड़े रहना चाहते हैं।

प्रवासी भोजपुरी साहित्य का भी अध्ययन 
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि पूर्वांचल क्षेत्र में ऐसे केंद्र की बहुत आवश्यकता थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र की स्थापना के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यहां प्रवासी भोजपुरी साहित्य का भी अध्ययन किया जाए, जो विदेशों में रहने वाले भोजपुरी भाषियों को आकर्षित करेगा।

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