आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की अद्भुत खोज : 12 प्रकाश वर्ष दूर मिला 'सुपर जुपिटर', वैज्ञानिक जगत में हलचल

UPT | super jupiter

Jul 26, 2024 15:19

यह ग्रह पृथ्वी से लगभग 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और एक तारे की परिक्रमा कर रहा है। इसकी विशेषता यह है कि यह हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह जुपिटर से छह गुना बड़ा है। यह खोज डिपार्टमेंट...

Short Highlights
  • आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक नए ग्रह की खोज की 
  • ग्रह का नाम 'सुपर जुपिटर' दिया गया है
  • यह सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह जुपिटर से छह गुना बड़ा है
Kanpur News : आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक नए ग्रह की खोज की है, जिसे 'सुपर जुपिटर' नाम दिया गया है। यह ग्रह पृथ्वी से लगभग 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है और एक तारे की परिक्रमा कर रहा है। इसकी विशेषता यह है कि यह हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह जुपिटर से छह गुना बड़ा है। यह खोज डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस, प्लेनेटरी एंड एस्ट्रोनॉमिकल साइंस एंड इंजीनियरिंग (स्पेस) के खगोलविदों और आईआईटी कानपुर के प्रो. प्रशांत पाठक की टीम द्वारा की गई है।

विशेष तकनीक से हुई खोज
इस अद्भुत खोज में एक विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया। वैज्ञानिकों ने तारे की अत्यधिक चमक को ब्लॉक करने के लिए एक विशेष कैमरे का उपयोग किया, जिसे कोरोनग्राफ कहा जाता है। यह कैमरा जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) के एमआईआरआई कैमरे से लैस था। इस तकनीक ने एक कृत्रिम ग्रहण बनाया, जिससे इस नए ग्रह का पता लगाना संभव हो सका।

माइनस डिग्री है तापमान
प्रो. पाठक ने बताया कि यह नया ग्रह काफी ठंडा है, जिसका तापमान लगभग -1 डिग्री सेल्सियस है। इसकी कक्षा भी अत्यंत विशाल है। सुपर जुपिटर और उसके मेजबान तारे के बीच की दूरी, पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी से 28 गुना अधिक है। यह ग्रह अपने तारे की परिक्रमा लगभग 200 वर्षों में पूरी करता है।

के5वी प्रकार का है ये तारा
यह खोज न केवल नए ग्रहों की संभावनाओं को उजागर करती है, बल्कि ग्रहों के निर्माण, उनकी वायुमंडलीय संरचना और सौर मंडल से परे जीवन की संभावनाओं के बारे में हमारी समझ को भी बढ़ाती है। वैज्ञानिक अब इस ग्रह के मेजबान तारे का भी अध्ययन कर रहे हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह तारा के5वी प्रकार का है, जिसे एचडी 209100 के नाम से जाना जाता है।

इस महत्वपूर्ण खोज को प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित किया गया है, जो इसकी वैज्ञानिक महत्ता को दर्शाता है। आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने इस उपलब्धि को मील का पत्थर बताया है और शोध टीम को बधाई दी है।

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