उपचुनाव में भी बरकरार रहेगी सपा-कांग्रेस की दोस्ती! इस फॉर्मूले पर खड़गे-राहुल के साथ बैठक करेंगे अखिलेश यादव

UPT | rahul gandhi-akhilesh yadav

Jul 18, 2024 09:43

अखिलेश यादव यूपी विधानसभा उपचुनाव में इस वजह से भी कांग्रेस को सीटें देने के लिए तैयार हो रहे हैं, क्योंकि इससे सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर गठबंधन होने की स्थिति में कांग्रेस जीत जाती है, तो इसका श्रेय लेने से सपा पीछे नहीं हटेगी। वहीं हारने की स्थिति में कांग्रेस पर ही दबाव रहेगा।

Lucknow News : यूपी विधानसभा की 10 रिक्त सीटों को सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। इस वजह से उन्होंने 30 मंत्रियों की फौज उपचुनाव के लिए उतार दी है और इनसे मिले फीडबैक पर आगे की रणनीति भी तैयार की है। दूसरी ओर समाजवादी भी उपचुनाव की तैयारियों में जुट गई है। हालांकि पार्टी प्रत्याशियों के चयन में जल्दबाजी करने के पक्ष में नहीं है। इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के संभावित प्रत्याशियों को ध्यान में रखते हुए ही वह अपनी रणनीति तय करेगी। इस बात की भी संभावना है कि उपचुनाव में एक बार फिर सपा और कांग्रेस का गठबंधन देखने को मिल सकता है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे लेकर नरम रवैया अपनाया है। 

सपा से ज्यादा कांग्रेस को यूपी में गठबंधन की दरकार
लोकसभा चुनाव में यूपी के नतीजों के बाद विपक्ष बेहद उत्साहित है। सपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी है तो कांग्रेस भी 6 सीटें जीतने में सफल हुई है। इस चुनाव के बाद भाजपा पर उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन का दबाव है तो विपक्ष के सामने अपनी सफलता दोहराने की चुनौती है। ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि उपचुनाव में भी ये साथ बना रहे, इसलिए वह सपा से गठबंधन करने की प्रबल इच्छुक है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय शुरू से ही सपा के साथ उपचुनाव में जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं।    

अखिलेश यादव ने दिए गठबंधन के संकेत
इस बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर नरम रवैया अपनाया है। उन्होंने इस संबंध में सवाल पूछने पर कहा कि मीडिया जितनी सीटें कहेगा, उतनी दे दी जाएंगी। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इन सीटों से सरकार बनने नहीं जा रही है। माना जा रहा है कि उपचुनाव में सपा कांग्रेस को एक-दो सीटें दे सकती है। कांग्रेस भले ही इससे ज्यादा सीटों का दावा करे। लेकिन, अन्य सीटों पर सपा अपने उम्मीदवार ही उतारेगी। वहीं कांग्रेस यूपी की इस दोस्ती के बदले में सपा को महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा के चुनाव में सीटें देगी। इस संबंध में केंद्रीय नेतृत्व की अखिलेश यादव से बैठक में निर्णय किया जाएगा। 

पुराने अनुभाव के बाद सपा बरत रही सतर्कता 
माना जा रहा है कि इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव शामिल हो सकते हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की वजह से सपा और कांग्रेस का गठबंधन परवान नहीं चढ़ पाया था। इसकेे बाद लोकसभा चुनाव में सावधानी बरती गई और नतीजे बेहतर रहे। इसलिए अब उपचुनाव सहित राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और सपा इसे लेकर सावधानी बरतना चाह रही है।  

अखिलेश यादव की रणनीति
अखिलेश यादव यूपी विधानसभा उपचुनाव में इस वजह से भी कांग्रेस को सीटें देने के लिए तैयार हो रहे हैं, क्योंकि इससे सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर गठबंधन होने की स्थिति में कांग्रेस जीत जाती है, तो इसका श्रेय लेने से सपा पीछे नहीं हटेगी। वहीं हारने की स्थिति में कांग्रेस पर ही दबाव रहेगा। साथ ही विधानसभा चुनाव 2027 में सपा सीटों के बंटवारे की स्थिति में अपना दावा और मजबूती से करेगी। इसके साथ ही उपचुनाव में कांग्रेस को सीटें देने के एवज में जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है, वहां सपा उम्मीदवार उतारने से पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ने के आसार हैं। ऐसे में राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए सपा इस रणनीति को अपनाने के पक्ष में है। लोकसभा चुनाव में यूपी में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी सपा अभी भी राज्य स्तरीय पार्टी ही है। 

इन दस सीटों पर होंगे उपचुनाव, सपा के पास थी सबसे ज्यादा सीटें
प्रदेश में विधानसभा की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें अलीगढ़ जिले की खैर, अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मीरजापुर की मझवां, मुरादाबाद की कुंदरकी और मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट शामिल है।इनमें से पांच सीटें करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। जबकि, खैर, गाजियाबाद व फूलपुर भाजपा के पास, मझवा सीट निषाद पार्टी और मीरापुर से राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी।

दस सीटों पर उपचुनाव की वजह
  • कानपुर नगर की सीसामऊ सीट 2022 में यहां से जीते सपा के इरफान सोलंकी को अयोग्य करार दिए जाने से रिक्त हुई है। इसलिए यहां उपचुनाव कराया जाएगा। 
  • फूलपुर से भाजपा के प्रवीण पटेल ने 4332 मतों के अंतर से सपा के अमरनाथ सिंह मौर्य को हराया। पटेल को कुल 452600 वोट मिले। अमरनाथ सिंह ने 448268 मत हासिल किए। भाजपा ने सांसद केशरी देवी पटेल का टिकट काटकर स्थानीय विधायक प्रवीण पटेल पर भरोसा जताया था। 
  • हाथरस से भाजपा के अनूप प्रधान बाल्मीकि ने सपा के जसवीर वाल्मीकि को 247318 मतों से हराया। अनूप प्रधान को 554746 और जसवीर को 307428 मत मिले। अनूप प्रधान अलीगढ़ के खैर से विधायक और प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री थे।
  • गाजियाबाद से भाजपा के अतुल गर्ग को कुल 854170 वोट मिले। उन्होंने कांग्रेस की डॉली शर्मा को 336965 मतों के अंतर से हराकर बड़ी जीत हासिल की। डॉली शर्मा को 517205 मत मिले। 
  • भदोही से भाजपा प्रत्याशी और निषाद पार्टी से मझावन से विधायक डॉ. विनोद कुमार बिंद ने 44072 मतों से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 459982 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी तृणमूल कांग्रेस के ललितेशपति त्रिपाठी को 415910 वोट मिले।
  • बिजनौर से रालोद के चंदन चौहान ने 37508 मतों से सपा के दीपक को हराया। चंदन चौहान मीरापुर से विधायक थे। लोकसभा चुनाव में उन्हें 404493 मत और दीपक को 366985 वोट मिले।
  • फैजाबाद से चुनाव जीतने वाले सपा के अवधेश प्रसाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे। उन्होंने 54567 मतों से भाजपा के लल्लू सिंह को हराया। अवधेश प्रसाद को 554289 मत और लल्लू सिंह को 499722 वोट मिले।
  • मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से विधायक अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट से जीत हासिल की। अखिलेश यादव ने 170922 मतों से भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक को हराया। अखिलेश यादव को 642292 वोट और सुब्रत पाठक को 471370 मत मिले।
  • कटेहरी से सपा के विधायक लालजी वर्मा ने अंबेडकरनगर से 137247 मतों से जीत दर्ज की है। उन्होंने भाजपा के रितेश पांडेय को हराया। लालजीवर्मा को 544959 मत और रितेश पांडेय को 407712 वोट मिले। 
  • कुंदरकी विधानसभा सीट से जियाउर्रहमान बर्क ने संभल सीट पर जीत दर्ज की। सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान बर्क ने 121494 मतों से भाजपा के परमेश्वर लाल सैनी को हराया। जियाउर्रहमान को 571161 मत और परमेश्वर लाल को 449667 वोट मिले।

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