SGPGI की डॉक्टर से करोड़ों की ठगी के मामले में STF ने छह शातिर किए गिरफ्तार : सात दिनों तक किया था डिजिटल अरेस्ट

UPT | यूपी एसटीएफ की गिरफ्त में आरोपी।

Aug 31, 2024 00:42

यूपी एसटीएफ को एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर से 2.81 करोड़ की ठगी के मामले में बड़ी कामयाबी मिली है। टीम ने इस ठगी में शामिल छह अभियुक्तों को लखनऊ के शहीद पथ से गिरफ्तार किया है।

Lucknow News : यूपी एसटीएफ ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) की एसोसिएट प्रोफेसर को सात दिनों तक डिटिजल अरेस्ट कर उनसे ठगी के मामले में गैंग के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के सदस्यों ने एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर लगभग 2.81 करोड़ रुपए की ठगी की वारदात को अंजाम दिया था। बाद में एसोसिएट प्रोफेसर की ओर से पुलिस को मामले की जानकारी दी गई। इसके बाद पुलिस ने तत्काल कदम उठाते हुए 27.88 लाख रुपए फ्रीज करा लिए थे, जिससे साइबर ठग उसका इस्तेमाल नहीं कर पाए। वहीं मामला दर्ज कर अभियुक्तों की तलाश की जा रही थी।

इन छह शातिरों को किया गया गिरफ्तार
यूपी एसटीएफ को शुक्रवार को इसमें बड़ी कामयाबी मिली और इस ठगी में शामिल छह अभियुक्तों को शहीद पथ से गिरफ्तार किया गया। एसटीएफ के मुताबिक पकड़े गए शातिरों ने अपने नाम आदिल, दीपक शर्मा, आयुष यादव, फैजीबेग, मोहम्मद ओसामा और मनीष कुमार बताए हैं। इन लोगों के पास से विभिन्न बैंक खातों में लगभग 30 लाख रुपए फ्रीज कराए गए। इन सभी के पास से बैंकिंग किट, पासबुक, एटीएम कार्ड, चेक बुक आदि बरामद किया गया है। एसटीएफ के अनुसार पकड़े गए अभियुक्तों से बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का फॉरेंसिक परीक्षण कराया जाएगा।

2.81 करोड़ रुपए धोखे से ऐंठे
इससे पहले कृष्णानगर के मानसनगर स्थित चाणक्यपुरी में रहने वाली एसजीपीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर जालसाजों ने उनसे 2.81 करोड़ रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए थे। इन शातिरों ने सीबीआई अधिकारी बनकर मनी लॉन्ड्रिंग और चाइल्ड ट्रैफिकिंग में जेल भेजने का डर दिखाकर उनसे रकम ऐंठ ली। बाद में डॉ. रुचिका टंडन ने साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज कराई,​ जिसके बाद पुलिस ने जालसाजों के दो खातों को फ्रीज करवा दिए, जिसमें पीड़िता के 27.88 लाख रुपये मौजूद थे।

एक फोन कॉल और इस तरह बनाया शिकार
डॉ. रुचिका टंडन के मुताबिक विगत एक अगस्त को उनके मोबाइल पर एक कॉल आई, जिसमें शख्स ने बताया कि वह ट्राई का कर्मचारी है और उनके सभी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बंद किए जा रहे हैं। इन नंबरों पर 27 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। उसके बाद उसने स्काइप डाउनलोड करवाया। स्काइप पर उसने उनकी बात सीबीआई के कथित अफसर राहुल गुप्ता से करवाई, जिसने डॉ. रुचिका को बताया कि नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनका नाम आया है। इसमें उनके बैंक अकाउंट का इस्तेमाल होने का हवाला दिया गया।

वूमेन ऐंड चाइल्ड ट्रैफिकिंग का आरोप लगाकर डराया
डॉ. रुचिका को बताया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग की रकम वूमेन ऐंड चाइल्ड ट्रैफिकिंग में इस्तेमाल हुई है। इसे लेकर उनके खिलाफ कई सबूत हैं। इसके बाद डॉ. रुचिका को एक फार्म भेजा गया, जिसमें उसने उनकी पूरी डिटेल भरवाई गई। बैंक अकाउंट नंबर से लेकर उसमें जमा रकम तक की पूरी जानकारी ली गई। इस दौरान डॉ. रुचिका को उन्हे डिजिटल अरेस्ट करने की जानकारी दी गई। इसके बाद 8 अगस्त तक उनसे विभिन्न खातों में रकम मंगाई गई। डॉ. रुचिका ने अपने पांच बैंक खातों से जालसाजों के सात अकाउंट में 2.81 करोड़ रुपए भेजे। इसके बाद ठगों ने उनसे संपर्क करना बंद कर दिया।

साइबर थाने में केस दर्ज होते ही पुलिस हुई एक्टिव
डॉ.रुचिका ने बाद में सीबीआई की वेबसाइट देखी तो उन्हें अपने साथ ठगी का पता चला। इसके बाद उन्होंने साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने तत्काल कदम उठाते हुए जालसाजों के खातों में मौजूद डॉ.रुचिका के 27.88 लाख रुपए फ्रीज करवाए। साथ ही अभियुक्तों की तलाश व गिरफ्तारी में जुट गई। लखनऊ में बीते कुछ समय से अपराधियों से मोटी रकम ऐंठने के लिए 'डिजिटल अरेस्ट' का तरीका अपनाया है। इसके जरिए पढ़े लिखे लोगों को धड़ल्ले से शिकार बनाया जा रहा है। बीते दिनों में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।

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