'सेक्स की इच्छा पर काबू रखें किशोरियां' : कलकत्ता हाईकोर्ट ने की थी विवादित टिप्पणी, अब सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Aug 20, 2024 17:26

कलकत्ता हाई कोर्ट के एक विवादित बयान पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने वाला है, जिसमें हाई कोर्ट ने लड़कियों को अपनी सेक्स की इच्छा पर नियंत्रण रखने की नसीहत दी थी...

News Delhi : कलकत्ता हाई कोर्ट के एक विवादित बयान पर आज सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने वाला है, जिसमें हाई कोर्ट ने लड़कियों को अपनी सेक्स की इच्छा पर नियंत्रण रखने की नसीहत दी थी। यह टिप्पणी एक यौन उत्पीड़न के केस में की गई थी, जिसमें हाई कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपों से भी बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि अदालतों को किसी भी मामले में फैसला सुनाते समय अपनी निजी राय या उपदेश देने से बचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की इस टिप्पणी को बेहद आपत्तिजनक और गैर जरूरी बताया था। 

हाई कोर्ट की विवादित टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
मामला एक नाबालिग लड़की के साथ यौन उत्पीड़न से जुड़ा था, जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि लड़कियों को अपनी इच्छाओं पर काबू रखना चाहिए और "2 मिनट के आनंद" के पीछे नहीं जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने लड़कों को भी नसीहत दी थी कि उन्हें लड़कियों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए। इन बयानों के आधार पर हाई कोर्ट ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट के आरोपों से बरी कर दिया था, क्योंकि पीड़िता ने अपने बयान में यह स्वीकार किया था कि यौन संबंध उसकी स्वेच्छा से बने थे।

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के इस फैसले पर नाराजगी जताई और कहा कि अदालतों को फैसला देते समय अपनी निजी राय या उपदेश देने से बचना चाहिए। कोर्ट ने इस टिप्पणी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन बताते हुए इसे आपत्तिजनक करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आरोपी को रेप की धारा के तहत दोषी ठहराया।



जजमेंट लिखने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जजमेंट लिखने के तरीकों पर भी निर्देश जारी किए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की विवादित टिप्पणियों से बचा जा सके। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इस मामले को जेजे एक्ट के तहत जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के पास भेजा जाए। साथ ही, एक तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है जो आरोपी की सजा की अवधि पर विचार करेगी।

नसीहत को हटाने की संभावना
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह भी संभावना जताई जा रही है कि कलकत्ता हाई कोर्ट की विवादित टिप्पणियों को जजमेंट से हटा दिया जाएगा। यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में व्यक्तिगत विचारों और टिप्पणियों के प्रभाव पर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है, जो भविष्य में अन्य अदालतों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत साबित हो सकता है।

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