भगवान बछरू स्थल सोरोंजी की पौराणिक धरोहर : अपनी विशिष्टता और ऐतिहासिक महत्व के कारण आज भी श्रद्धालुओं में प्रसिद्ध

UPT | सोरों जी स्थित प्राचीन मंदिर परिसर।

Aug 26, 2024 13:44

सोरों जी की भूमि प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं की कर्मस्थली के रूप में प्रतिष्ठित रही है। इस पवित्र नगर से लगभग 2 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित है भगवान बाछरू का एक प्राचीन धार्मिक स्थल,जो अपनी अद्वितीयता और ऐतिहासिक महत्व के कारण आज भी श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध है।

Kasganj News : सोरों जी की भूमि प्राचीन काल से ही देवी-देवताओं की कर्मस्थली के रूप में प्रतिष्ठित रही है। इस पवित्र नगर से लगभग 2 किलोमीटर पूर्व दिशा में स्थित है भगवान बाछरू का एक प्राचीन धार्मिक स्थल,जो अपनी अद्वितीयता और ऐतिहासिक महत्व के कारण आज भी श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध है। इस स्थल का संबंध श्रीकृष्ण और उनकी लीलाओं से जुड़ा हुआ है,जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

ऊंचे टीले पर बना मंदिर दीवारों पर उकेरी गईं कृष्ण रास की आकृतियों के लिए जाना जाता है  
यहां स्थित एक प्राचीन मंदिर,जो ऊंचे टीले पर बना है,अपनी दीवारों पर उकेरी गईं कृष्ण रास की आकृतियों के लिए जाना जाता है। ये शिलाखंड अपने प्राचीनतम होने का प्रमाण देते हैं और स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, यह स्थान श्रीकृष्ण और गोपियों के महारास का स्थल माना जाता है। आस-पास के खेतों में काम करने वाले लोग यहां होने वाली परालौकिक घटनाओं से परिचित हैं और यहां आने वाले प्रेमी जोड़े मंदिर की दीवारों पर अपना नाम लिख जाते हैं,जिससे इस स्थान की पवित्रता और भी बढ़ जाती है।

बाछरू स्थल से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित 
बाछरू स्थल से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की गौचारण स्थली थी, जिसे पुराणों में वत्सक्रीड़नक तीर्थ के नाम से जाना जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार ब्रह्मा जी ने श्रीकृष्ण की परीक्षा लेने के लिए उन्हें ब्रह्मलोक ले गए थे और बाद में उन्हें इसी स्थान पर छोड़ दिया था। एक अन्य कथा में बताया गया है कि वत्सासुर नामक दैत्य, जो छल से गायों के झुंड में शामिल हो गया था, ने श्रीकृष्ण पर प्रहार कर दिया। कृष्ण और बलराम ने उसे परास्त कर उसका वध कर दिया,जिससे वह दैत्य योनि से मनुष्य रूप में आ गया और स्वर्गलोक को प्राप्त हुआ। जनश्रुतियों के अनुसार यह स्थल श्यामसर/श्यामपुर/रामपुर गांव के निकट स्थित है। यहां की मिट्टी के लेपन से चर्म रोग दूर हो जाते हैं, ऐसी मान्यता भी है। इस प्रकार भगवान बाछरू का यह स्थल धार्मिक आस्था और पौराणिक मान्यताओं का प्रतीक है जो इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित करता है। 

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