FPO Conclave-2024 : देशभर के 500 से अधिक संस्थान हिस्सा लेंगे, इस बार की थीम 'कृषि क्षेत्र में स्थिरता'

UPT | Samunnati FPO Conclave

Sep 01, 2024 03:03

कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारत में टिकाऊ कृषि के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप तैयार करना है। नीति निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों और कृषि-तकनीकी नव-प्रवर्तकों के बीच संवाद को बढ़ावा देकर, यह आयोजन सहयोग और नवाचार के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा...

New Delhi News : भारत के प्रमुख कृषि उद्यम समुन्नति द्वारा आयोजित एफपीओ कॉन्क्लेव का चौथा संस्करण 3 और 4 सितंबर 2024 को हैदराबाद में होगा। इस दो दिवसीय कॉन्क्लेव का मुख्य विषय "कृषि क्षेत्र में स्थिरता" रहेगा। इस वर्ष के कॉन्क्लेव में 500 से अधिक कृषि फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन्स (एफपीओ), एमएसएमई, कृषि कॉर्पोरेट्स, विश्वविद्यालयों, और अनुसंधान संस्थानों के 700 से अधिक प्रतिभागी शामिल होंगे। 

इस आयोजन में केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों, नाबार्ड के अधिकारियों, कृषि-तकनीकी कंपनियों और अग्रणी शोधकर्ताओं की भी उपस्थिति रहेगी। समुन्नति, जो पिछले एक दशक से एफपीओ और छोटे किसानों को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रही है, का मानना है कि यह कॉन्क्लेव टिकाऊ खेती में भारत के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

कॉन्क्लेव के प्रमुख प्रायोजक ओलम एग्री द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ है, जो इस आयोजन के लिए प्लेटिनम प्रायोजक के रूप में जुड़े हैं। कॉन्क्लेव के दौरान विभिन्न कार्यशालाओं, चर्चाओं, और इंटरेक्टिव सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें टिकाऊ खेती, बाजार तक पहुंच, और कृषि दक्षता में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर नवीनतम रुझानों पर चर्चा की जाएगी।

उत्पादों को बाजारों तक पहुंचाना चुनौती 
समुन्नति के को-फाउंडर और सीईओ श्री अनिल कुमार एसजी ने कहा, “कृषि उत्पादों को बाजारों तक पहुंचाना हमेशा एक चुनौती रही है, लेकिन एफपीओ इस चुनौती का समाधान प्रदान कर रहे हैं। हमें ऐसे संगठनों को मजबूत करने के प्रयासों को जारी रखना होगा ताकि वे टिकाऊ कृषि पद्धतियों की बढ़ती मांग को पूरा कर सकें।”

कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारत में टिकाऊ कृषि के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप तैयार करना है। नीति निर्माताओं, वित्तीय संस्थानों और कृषि-तकनीकी नव-प्रवर्तकों के बीच संवाद को बढ़ावा देकर, यह आयोजन सहयोग और नवाचार के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा। कॉन्क्लेव में साझा की गई चर्चाओं और अंतर्दृष्टियों का भारत की टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर स्थायी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

Also Read