ज्ञानवापी मस्जिद मामला : सुप्रीम कोर्ट पहुंची मस्जिद कमेटी, चीफ जस्टिस बोले-पूजा और नमाज दोनों जारी रहें 

UPT | Gyanvapi Mosque

Apr 01, 2024 14:53

मस्जिद पक्ष के वकील ने पूजा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। जिसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि तहखाने का प्रवेश दक्षिण से है और मस्जिद का उत्तर से। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित नहीं…

Gyanvapi Mosque : सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बता दें इस दौरान मस्जिद पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने बताया की निचली अदालत ने आदेश को लागू करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया लेकिन फ़िलहाल सरकार ने इसे लागू कर दिया है और हाईकोर्ट से भी हमें राहत नहीं मिली है। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट को तुरंत इस पर रोक लगाना चाहिए। 

पूजा और नमाज अपनी-अपनी जगहों पर जारी रहे
दरअसल मामले में सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने किसी और तारीख का नोटिस जारी किया था। हालांकि, मस्जिद पक्ष के वकील ने पूजा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। जिसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि तहखाने का प्रवेश दक्षिण से है और मस्जिद का उत्तर से। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते। हम यह निर्देश देते हैं कि फिलहाल और पूजा और नमाज अपनी-अपनी जगहों पर जारी रहे। हालांकि इस औपचारिक नोटिस का विरोध व्यास परिवार के वकील श्याम दीवान ने किया उन्होंने कहा की अभी निचली अदालतों में इस मामले को लेकर निवारण नहीं हुआ है। इस समय सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत नहीं है। 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ SC पहुंची मस्जिद कमेटी
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा गया जिसके अंतर्गत मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में हिंदुओं को पूजा की अनुमति दी गई है। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी वाराणसी में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करती है। मालूम हो की 31 जनवरी को  निचली अदालत ने हिंदुओं को तहखाने में पूजा करने की इजाजत दी थी। इसके बाद भी कमेटी नहीं रुकी और फिर हाई कोर्ट में गुहार लगाई जहां 26 फरवरी को उनकी याचिका खारिज हो गई। हाईकोर्ट ने कहा था कि ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में स्थित व्यास जी के तहखाने के भीतर पूजा रोकने वाला उत्तर प्रदेश सरकार का 1993 का फैसला अवैध था। पूजा-पाठ को बिना किसी लिखित आदेश के राज्य की अवैध कार्रवाई के जरिए रोक दिया गया।  

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