पेरिस ओलंपिक में दिखेगा बनारसी हथकरघे का जादू : रामनगर के बुनकर परिवार को मिला अंतरराष्ट्रीय मंच पर कला प्रदर्शन का अवसर

UPT | Banarasi Handloom

Jul 15, 2024 11:55

इस बार, विश्व प्रसिद्ध बनारसी साड़ी की बुनाई का हुनर अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाया जाएगा। रामनगर के एक बुनकर परिवार को इस अद्वितीय अवसर के लिए चुना गया है। निलेश मौर्य और उनकी बेटी मोनिका मौर्य...

Short Highlights
  • पेरिस ओलंपिक में हस्तशिल्प का प्रदर्शन किया जाएगा
  • बनारसी साड़ी की बुनाई का हुनर अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखेगा
  • यह आयोजन स्वदेश रिलायंस फाउंडेशन द्वारा  लगाए जा रहे एक विशेष मेले का हिस्सा है
Varanasi News : पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय हस्तशिल्प का एक अनूठा प्रदर्शन होने जा रहा है। इस बार, विश्व प्रसिद्ध बनारसी साड़ी की बुनाई का हुनर अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिखाया जाएगा। रामनगर के एक बुनकर परिवार को इस अद्वितीय अवसर के लिए चुना गया है। निलेश मौर्य और उनकी बेटी मोनिका मौर्य 22 जुलाई को पेरिस के लिए रवाना होंगे, जहाँ वे अपने साथ हथकरघा लेकर जाएंगे और बनारसी साड़ी एवं अन्य वस्त्रों की बुनाई का प्रदर्शन करेंगे।

परिवार में चौथी पीढ़ी के कलाकार हैं निलेश
यह आयोजन स्वदेश रिलायंस फाउंडेशन द्वारा ओलंपिक के दौरान लगाए जा रहे एक विशेष मेले का हिस्सा है। निलेश मौर्य, जो बनारसी साड़ी बुनाई की चौथी पीढ़ी के कलाकार हैं, और उनकी बेटी मोनिका, जो पांचवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं, इस कला को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के समक्ष प्रदर्शित करेंगे। यह न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि समूचे बनारस के हस्तशिल्प समुदाय के लिए गर्व का क्षण है।

भारतीय हस्तशिल्प का प्रदर्शन
निलेश मौर्य ने बताया कि यह उनके 52 वर्षीय जीवन में पहला अवसर है जब उन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन में अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला है। वे और उनकी बेटी 20 दिनों तक पेरिस में रहकर बनारसी हुनर दिखाएंगे। रिलायंस ग्रुप ने उनके रहने और अन्य व्यवस्थाओं का प्रबंध किया है। यह आयोजन न केवल बनारसी साड़ी को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाएगा, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा को भी दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा।

पेरिस ओलंपिक में दिखेगा हुनर
इस अवसर का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि बनारसी साड़ी एक जीआई (भौगोलिक संकेत) उत्पाद है। पेरिस ओलंपिक में इसका प्रदर्शन न केवल भारतीय हस्तशिल्प को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाएगा, बल्कि इससे विश्व भर में इसकी मांग बढ़ने की भी उम्मीद है। यह आयोजन बनारसी बुनकरों के लिए एक नया अध्याय खोलने का वादा करता है, जहां उनकी कला और कौशल को वैश्विक स्तर पर सराहा जाएगा।

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